हर बड़ी सफलता के पीछे एक प्रेरक कहानी होती है। कठिनाइयों से जूझकर सफलता हासिल करने वालों की कहानियां आज के युवाओं को आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं। ऐसी ही एक कहानी है MobiKwik के फाउंडर विपिन प्रीत सिंह और उनकी पत्नी उपासना की। आइए, जानते हैं कि कैसे उन्होंने 8 लाख रुपए से शुरुआत कर आज MobiKwik को 23,567 करोड़ रुपए की नेट वर्थ तक पहुंचा दिया।
MobiKwik की शुरुआत कैसे हुई?
विपिन प्रीत सिंह और उनकी पत्नी उपासना ने साल 2009 में MobiKwik की नींव रखी। इसके लिए उन्होंने दिल्ली के द्वारका में एक छोटा सा ऑफिस लिया और वहीं से काम करना शुरू किया। हालांकि, MobiKwik का आइडिया उन्हें साल 2000 में ही आ गया था, लेकिन उस समय इसे लागू करने के लिए उनके पास पर्याप्त पैसे नहीं थे।
शुरुआत में 8 लाख रुपए का जुगाड़
MobiKwik की शुरुआत करने के लिए उनके पास बहुत कम पैसे थे। उन्होंने अपनी सेविंग्स से 8 लाख रुपए इकट्ठा किए और काम शुरू किया। शुरुआत में MobiKwik का उपयोग केवल मोबाइल रिचार्ज के लिए किया जा सकता था। लेकिन समय के साथ उन्होंने इसे अन्य सेवाओं के लिए भी विकसित किया।
MobiKwik का विस्तार और सेवाएं
आज MobiKwik सिर्फ रिचार्ज तक सीमित नहीं है। यह एक डिजिटल वॉलेट और पेमेंट प्लेटफॉर्म बन चुका है, जो पैसों के लेन-देन से जुड़ी लगभग हर सुविधा देता है। इसकी सेवाओं में:
- मोबाइल रिचार्ज और बिल पेमेंट
- मनी ट्रांसफर
- लोन सुविधा
- शॉपिंग और अन्य पेमेंट ऑप्शंस
बजाज का समर्थन
किसी भी बड़े बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए आर्थिक मदद की जरूरत होती है। विपिन ने MobiKwik के 10.83% शेयर बजाज को दे दिए, जिससे उन्हें आर्थिक सहायता मिली और वे अन्य ब्रांड्स से मुकाबला करने में सक्षम हो सके।
MobiKwik की वर्तमान स्थिति
MobiKwik ने आज खुद को एक मजबूत ब्रांड के रूप में स्थापित कर लिया है।
- 10 करोड़ से अधिक ग्राहक
- 890 करोड़ का सालाना टर्नओवर
- 2,260 करोड़ रुपए की संपत्ति
- 23,567 करोड़ रुपए की नेट वर्थ
कैसे बनी युवाओं के लिए प्रेरणा?
MobiKwik की कहानी उन युवाओं के लिए प्रेरणा है जो कम संसाधनों के कारण अपने सपनों को छोड़ देते हैं। विपिन और उपासना ने यह साबित कर दिया कि अगर सपना बड़ा हो और मेहनत सच्ची हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।
निष्कर्ष
MobiKwik की कहानी सिर्फ एक बिजनेस की सफलता की कहानी नहीं है, बल्कि यह संघर्ष, मेहनत और सही फैसलों का नतीजा है। यह उन सभी लोगों को प्रेरणा देती है जो खुद का कुछ बड़ा करना चाहते हैं। विपिन और उपासना की यह यात्रा हमें सिखाती है कि बड़े सपने देखने और उन्हें पूरा करने की कोई सीमा नहीं होती।
“अगर आपके पास मेहनत करने का जज़्बा है, तो संसाधनों की कमी आपको रोक नहीं सकती।”